सौंफ की खेती की जानकारी : उन्नत किस्में देगी भरपूर मुनाफा

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किसान भाइयों इस ब्लॉग में आपको सौंफ की खेती के बारे में बतायेंगे। अधिक पैदावार वाली किस्में वह सावधानियां और नए तरीकों के बारे में बताएंगे।

सौंफ एक प्रमुख फसल है जो मसाले व औषधि के रूप में काम आती है। इसमें फाइबर और विटामिन सी पोटाशियम पाए जाते हैं। इसे गले का दर्द वह सिर दर्द और कब्ज़ शरीर में ठंडक लाने के उपचार में प्रयोग किया जाता है।सौंफ को रबी की फसल के तौर पर लगाया जाता है। वह भारत में राजस्थान गुजरात उत्तर प्रदेश की मुख्यता सौंफ की खेती की जाती है।

भूमि और खेत की तैयारी

सौंफ की खेती सभी प्रकार की भूमि में जिसमें पर्याप्त मात्रा में जीवांश पाए जाते हैं। उसे भूमि में सौंफ की फसल ले सकते हैं बलुई मिट्टी में खेती नहीं करने की सलाह दी जाती है।चुनायुक्त मिट्टी सबसे उपयुक्त मानी जाती है। जल की निकासी की सही सुविधा हो वह जमीन का पी.एच मान 7 से 8 होना चाहिए।

खेत की अच्छी तरह से जुताई करें। 20 सेंटीमीटर की गहराई तक जुताई करें। अच्छी तरह से 2 से 3 बार कल्टीवेटर से तैयार कर बाद में जमीन को भुर-भुरा नुमा बना ले वह पाटा चला कर भूमि को समतल बना ले फिर क्यारियों का निर्माण करें।

खाद और उर्वरक

फसल की अच्छी ग्रोथ के लिए जमीन में पर्याप्त मात्रा में जैविक पदार्थ का होना अति आवश्यक है। जैविक पदार्थ की मात्रा कम हो तो प्रति हेक्टेयर तीन से चार ट्रॉली सड़ी हुई गोबर की खाद जमीन की तैयारी से पहले डालें।

इसके अतिरिक्त 70 किलो यूरिया 40 किलो फास्फोरस प्रति हेक्टयर में देना चाहिए यूरिया व फास्फोरस अंतिम जुताई के पहले खेत में उर देना चाहिए।

सौंफ के बीज का उपचार

बुवाई से पहले कार्बेंडाजिम 2 ग्राम प्रति किलो बीज के हिसाब से उपचार करना चाहिए।

सौंफ की बुवाई व समय

सौंफ की फसल का समय लंबा होने के कारण इस अक्टूबर से पहले से दूसरे सप्ताह के बीच इसकी बुवाई की जा सकती है। सौंफ की बुवाई क्यारियों में की जाए तो सबसे अच्छा रहता है। क्योंकि सौंफ ज्यादा पानी वाली फसल होती है।

पौधे से पौधे की दूरी 40 से 45 सेंटीमीटर होनी चाहिए वह पंक्ति से पंक्ति की दूरी 70 से 80 सेंटीमीटर की दूरी होनी चाहिए जिससे अधिक कलियों का निर्माण होता है। अधिक उत्पादन प्राप्त होता है। बीज की मात्रा 4 से 5 किलो प्रति एकड़ में प्रयोग करें ।

खरपतवार नियंत्रण

घास की तीव्रता के हिसाब से खेत की 1 से 2 बार निराई-गुड़ाई करनी चाहिए। खरपतवार की रोकथाम के लिए पेंडामेथालिन 1.2 लीटर प्रति एकड़ के हिसाब से देना चाहिए। गुड़ाई के वक्त रेत को पौधों के पास चढ़ा दे ताकि ज्यादा हवा होने के कारण पौधे गिरे नहीं।

सौंफ में कीट व रोग

सौंफ की खेती में आमतौर पर रोग देखे जाते हैं। रोगों की रोकथाम के लिए उच्च किस्म के बीज एवं बीजों का उपचार करके बुवाई करें। रोग प्रतिरोधी किस्मों का चयन करें।

छाछ्या रोग (पाउडरी मिल्डयू)

सौंफ की खेती की जानकारी

यह रोग लगने पर शुरू में पत्तियों व टहनियों पर सफेद चुर्ण जैसा दिखाई देता है। बाद में पूर्ण रूप से पूरे पोंधे में फैल जाता है।

उपचार

हेक्साकोनोजोल 5% EC की 1.5 मिली मात्रा प्रति 1 लीटर पानी में डालकर छिड़काव करें।

तना व जड़ गलन रोग

यह रोग आमतौर पर ज्यादा देखने को मिलता है। इस रोग में नीचे से तना मुलायम हो जाता है वह जड़ गल जाती है।

उपचार

बीज बुवाई से पहले कार्बन दियो जिम 2 ग्राम प्रति मिली बीच के हिसाब से उपचारित करें।

सौंफ की उन्नत किस्मे

आर एफ 125

इस किस्म के पौधे बौने व छोटे कम ऊंचाई वाले होते हैं। इसका पुष्पकर्म लंबे सुडौल आकर्षक दाने युक्त होता है। यह किस्म जल्दी पकने वाली होती है इसकी उत्पादन क्षमता 15 से 17 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है।

गुजरात सौंफ 11

यह किस्म सिंचित खेती के लिए सबसे अच्छी मानी जाती है तथा इसका उत्पादन 24 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक हो जाता है।

आर एफ 143

यह किस्म लंबे व सीधे ऊंचाई वाले होते हैं 115 से 118 सेंटीमीटर की ऊंचाई होती है। इस पौधे पर 7 से 8 शाखाएं निकलती है। प्रति पौधे की अंबल की संख्या 25 से 60 होती है। यह किस्म 140 से 150 दिनों में पकने वाली किस्म है। प्रति हेक्टर 18 क्विंटल तक उत्पादन देती है।

सौंफ की खेती के लिए जलवायु

यह शीतऋतु में बोई जाने वाली फसल होती है। और इसे गर्मियों के दिनों में भी लगाया जाता है। लेकिन ग्रीष्मऋतु में इसका उत्पादन कम होता है वह सौंफ के फूल आने के समय पाले से नुकसान होता है। इसकी उपज और गुणवत्ता जनवरी से मार्च तक ज्यादा लाभदायक रहती है।

फसल की कटाई

जब सौंफ का गुच्छा पूर्ण रूप से पक जाए तब इसकी कटाई करनी चाहिए। कटाई के 2 से 3 दिन तक धूप में सुखा दे हरे रंग रखने के लिए इसे 9 से 10 दिन तक छाया में सुखना चाहिए।

सौंफ की बुवाई कौन से महीने में होती है?

सौंफ की खेती खरीफ व रबी दोनों सीजन में की जा सकता है। रबी में सौंफ की खेती अच्छी व उत्पादन क्षमता ज्यादा होती है। खरीफ में जुलाई महीने में करते हैं रबी की सीजन में सितंबर व अक्टूबर महीने में की जाती है।

सौंफ की रोपाई कब करें?

मई की शुरुआत से, आखिरी ठंढ के बाद तक


सौंफ की सबसे अच्छी वैरायटी कौन सी है?

मंगलम वोलीना बेस्ट वैरायटी।

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