सरसों की खेती
आप सभी जानते हैं कि सरसों का तेल हमारे रसोईघर का अभिन्न अंग है, इसकी खुशबू हर पकवान में जादू डाल देती है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि सरसों की खेती, कम लागत में अधिक मुनाफा देने वाली फसलों में से एक मानी जाती है? जी हां, सरसों की खेती न सिर्फ किसानों की आय का जरिया बनती है, बल्कि जमीन की उर्वरा शक्ति को भी बढ़ाती है।
इस ब्लॉग में, हम सरसों की खेती के गुर सीखेंगे. बीज चयन से लेकर कटाई तक, हर एक कदम को विस्तार से जानेंगे. साथ ही, हम देखेंगे कि कैसे आप नई तकनीकों को अपनाकर सरसों की पैदावार को बढ़ा सकते हैं और अपनी आय को दोगुना कर सकते हैं. तो देर किस बात की, आइए जानते हैं सरसों की खेती के बारे में।
सरसों की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी व समय
वैसे तो सरसों की खेती हम सभी तरह की मिट्टी में कर सकते हैं बलुई दोमट मिट्टी भी सरसों की खेती के लिए उपयुक्त मानी जाती हैं इसकी खेती के लिए मिट्टी में जरूरी पोषक तत्व होने चाहिए तथा जमीन में जल निकासी की व्यवस्था उचित होनी चाहिए बेहतर उत्पादन व अच्छी पैदावार के लिए मिट्टी का पीएच 6.5 से 7.5 होना चाहिए।
सारसो की बुवाई का समय
देश के अलग-अलग राज्यों में सरसों के बीजों की भूमि 15 सितंबर से लेकर 15 नवंबर के बीच में होती हैं सरसों के बीच की बुवाई का सबसे उपयुक्त समय अक्टूबर का पहला सप्ताह वह दूसरा सप्ताह के बीच बुवाई का सबसे उपयुक्त समय माना जाता है सरसों के बीजों की बुवाई आप छिड़कन विधि से मेड़ बनाकर कर सकते हैं और सीड ड्रिल के माध्यम से भी कर सकते हैं।
सरसों की खेती में लागत
सरसों की खेती में आप कम लागत में अधिक उपज ले सकते हैं अगर आप सरसों हाइब्रिड बीजों का चुनाव करते हैं तो सिंचित क्षेत्र में 1 किलोग्राम के आसपास बीज की मात्रा लगेगी वही असिंचित क्षेत्र के लिए डेढ़ किलोग्राम बीज लगेगा एक एकड़ खेत में हाइब्रिड बीज के लिए ₹1500 का खर्च आएगा।
खेत की तैयारी का खर्च 4000 तथा बेसल डोज का खर्च 1800 रुपए तक आएगा खरपतवार नियंत्रण के लिए भी खरपतवार नाशक दवाई का खर्च लगभग ₹600 प्रति एकड़ के हिसाब से आएगा बुवाई के तुरंत आप आप पेडिमेथिलीन में 30% EC को 800 ml 200 लीटर पानी में घोलकर स्प्रे करे सरसों में रासायनिक खाद एवं उर्वरक की लागत हजार रुपए तक आ सकती है।
सरसों की हार्वेस्टिंग थ्रेसिंग की लागत लगभग ₹2000 के आसपास आएगी यही सारी लागत एक प्रति एकड़ भूमि पर लागू होती है खेत से मंडी की ट्रांसपोर्ट चार्ज ₹500 तथा बाकी छोटे-मोटे कामों की लागत हजार से ₹1500 तक आती है।
सरसों का उत्पादन (प्रति एकड़)
भारत में सरसों के ज्यादा उत्पादन वाले राज्य राजस्थान गुजरात मध्य प्रदेश महाराष्ट्र और हरियाणा है किसानों ने हाइब्रिड बीज का चुनाव एवं सही समय पर खाद उर्वरक का उपयोग और सही समय से सिंचाई खरपतवार नियंत्रण से प्रति एकड़ 10 क्विंटल की पैदावार ले सकते हैं किस हाइब्रिड बीजों से 12 से 15 क्विंटल प्रति एकड़ तक उत्पादन ले रहे हैं।
सरसों में कीट नियंत्रण
आरा मक्खी और पत्ति सुरंग किटों से पौधे में पत्ति के दोनों तरफ निचले भाग में अंडे देते हैं और 5 से 7 दिन के भीतर अंडा लार्वा बन जाते हैं। फिर यह पत्तियों को खाने लगते हैं आरा मक्खी के लार्वा जब पत्तियों के पौधे को खाते हैं तब पोते के विकास पर असर पड़ता है इसके बचाव के लिए खेतों में गहरी जुताई करें एवं साथ ही बीजों की बुवाई 25 अक्टूबर से पहले करें।
सारसो में रासायनिक नियंत्रण
Chloropyriphos 50%EC तथा Cypermethrin 5%EC 30ml 15 लीटर घोल बनाकर स्प्रे करें
सारसो में रासायनिक नियंत्रण
लीप माइनर जब पत्तियों को खाता है तब सफेद रंग की धारियां पत्तों पर दिखाई देती है इस किट के प्रभाव से पौधा प्रकाश संश्लेषण नहीं कर पाता और पौधे के विकास रुक जाता है।
निदान
Neem oil 1000ppm 30 मिली 15लीटर पानी में घोलकर स्प्रे करें। अगर पौधा ज्यादा प्रभावित है तो
Imidacloprid 70%WG 6 ग्राम प्रति 15 लीटर पानी में घोलकर स्प्रे करें।
सरसों की किस्मे
सरसों की फसल से अच्छी आमदनी लेने के लिए सबसे जरूरी है अच्छा उत्पादन का होना अच्छा उत्पादन के लिए जरूरी होता है आप उन्नत किस्म के बीच का चुनाव करें आप जिस भी किस्म का चुनाव करें उसमें रोग प्रतिरोधी गुण होना चाहिए तथा उसका उत्पादन एवरेज से ज्यादा होना चाहिए
सरसो Star 10-15 वेरायटी
सरसों की स्टार 10 15 rust और downy mildew जैसे रोगों के प्रति रोग प्रतिरोधी गुण रखती हैं। साथी साथ ठंड के सीजन में पढ़ने वाले पहले के प्रति भी सहनशील होती है स्टार 10 15 वैरायटी के पौधे का ताना मोटा एवं मजबूत होता है इसके एक पौधे के ऊपर हमें 40 से 50 शाखाएं मिलती है और प्रति फली 19 से 21 दाने काले चमकीले और आकर्षक मिलते हैं जिसमें 42 से 43% तेल की मात्रा होती है इस कारण इस वैरायटी का मार्केट में भी हमें भाव अच्छा देखने को मिलता है इस वैरायटी से आप प्रति एकड़ 12 से 14 क्विंटल तक उत्पादन ले सकते हैं
सरसो pioneer 45s46 वेरायटी
यह वैरायटी किसानो की सबसे ज्यादा उत्पादन देने वाली वैरायटी है इस वैरायटी की उत्पादन क्षमता 12 से 14 क्विंटल प्रति एकड़ तक हो सकती हैं इसमें तेल की मात्रा अधिक पाई जाती है और ठंड के समय पाला सहन करने की भी ताकत रखती है इसका बुवाई का समय अक्टूबर होता है यह फसल 120 से 130 दिन में पककर उत्पादन के लिए तैयार हो जाती है रोगों के प्रति सहनशील एवं पौधे की लंबाई 6 फीट तक होती है
सरसों श्री राम 1666 वैरायटी
यह वैरायटी हाइब्रिड सरसों की प्रजाति है इस वैरायटी का उत्पादन 12 से 15 क्विंटल प्रति एकड़ तक होता है इसमें आप तीन सिंचाई से फसल को पका सकते हैं तथा इसमें तेल की मात्रा भी अच्छी पाई जाती है समय पर अक्टूबर से नवंबर के बीच में बुवाई करना अच्छा उत्पादन मिलेगा इससे दाने काले चमकदार होते हैं जिससे बाजार मूल्य अधिक मिलता है यह फसल 120 से 125 दिन में पककर तैयार हो जाती है रोग प्रतिरोधी क्षमता इसमें भी अच्छी पाई जाती है
सरसों बायर( BAYER)5222
यह किम 125 से 130 दिन में पक्का तैयार होती है अक्टूबर से नवंबर मे बुवाई करना उपयुक्त रहता है इस किस्म से प्रति एकड़ 12 से 18 क्विंटल तक पैदावार ले सकते हैं हीरो को की प्रतिशत सेल होती तथा पौधे की लंबाई 6 फीट तक होती है तथा पौधा मजबूत और अधिक शाखाओ वाला होता है
सरसो Advanta 414 वेरायटी
इस वैरायटी में दाने चमकदार वह काले होते हैं तेल की मात्रा 40 से 42% तक पाई जाती है इसकी समय अवधि 115 से 120 दिन तक होती है इसका उत्पादन प्रति एकड़ 12 से 14 क्विंटल तक ले सकते हैं यह रोगों के प्रति सहनशील गुण रखती हैं तथा यह तीन सिंचाई में पक्ककर तैयार हो जाते हैं इसमें पौधे में शाखाएं अधिक पाई जाती है तथा पौधे की लंबाई 5 से 6 फीट तक होती है
राशि सरसों 1604
राशि सरसों एक मध्य किस्म की वैरायटी है लगभग यह 130 से 135 दिन की अवधि में पक्ककर तैयार हो जाती है उत्पादन में यह किस्म प्रति एकड़ 12 क्विंटल तक का उत्पादन दे सकती है यह मध्यम ऊंचाई का पौधा होता है तथा प्रति पौधे में 18 से 20 शाखाएं निकलती है।
इसका मजबूत फलिया तथा फली में दानों की संख्या 17 से 19 होती है इसमें दाना मोटा चमकीला होता है तेल की मात्रा इसमें 40 से 42 %पाई जाती है पाले के प्रति सहनशील होती है क् रहेंगेयोंकि पत्तियों का आकार छोटा होने के कारण पाला कम लगता है तथा रस्ट रोग के प्रति भी रोग रोधन क्षमता रखती हैं।
सेहत के लिए सरसों का तेल
सरसों का तेल न सिर्फ सेहत बल्कि त्वचा के लिए भी फायदेमंद होता है सरसों के तेल में कई ऐसे तत्व पाए जाते हैं जो पेन किलर का काम करते हैं जोड़ों का दर्द या कान का दर्द इन सभी समस्याओं में सरसों का तेल एक औषधि का काम करता है सरसों के तेल में और भी गुण पाए जाते हैं जैसे सोने से पहले अगर आप पर के तलवों में मालिश करते हैं तो आपकी आंखों की रोशनी तेज होगी वही दिमाग को भी आराम मिलेगा।
सरसों के तेल में मौजूद विटामिन जैसे थायमिन फालेठ और नियासिन शरीर के मेटाबॉलिज्म को बढ़ावा देते हैं जैसे वजन कम करने में मदद मिलती है सरसों का तेल शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मदद करता है शरीर की कमजोरी को दूर करने के लिए सरसों का सेवन जरूर करें जोड़ों का दर्द हो या कान का दर्द दोनों में फायदेमंद होता है सरसों के तेल से जोड़ों की मालिश करने से आराम मिलता है वही तेल को गर्म करके कान में डालने से भी आराम मिलता है।
अगर आपको भूख काफी कम या ना के बराबर लगती है या आपका स्वास्थ्य भी प्रभावित हो रहा है तो सरसों का तेल आपके लिए मददगार हो सकता है इसके सेवन से भूख बढ़ती है अगर आपके दांतों में दर्द रहता है तो तेल में नमक मिलाकर मसूड़े पर हल्की मालिश करें जिससे दांतों का दर्द दूर हो जाएगा वही मजबूती भी मिलेगी।
सरसों का तेल त्वचा के लिए भी अच्छा माना जाता है इसमें विटामिन ई की मात्रा अच्छी पाई जाती है इसके सेवन से त्वचा को पोषण तो मिलता ही है साथ में मालिश करने से त्वचा रुकी नहीं पड़ती और बालों को मजबूत करने के लिए सर में मालिश करें।
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