हाइब्रिड पपीता की खेती– किसान भाई इन पपीता की खेती करके आप लाख गुना कमाई कर सकते हैं साथ ही इन हाइब्रिड किस्मों को लगाने से रोग भी कम देखने को मिलते हैं तो आपको इस आर्टिकल में पूरी जानकारी दी गई हैं।
हाइब्रिड पपीता की खेती
पपीते की खेती कैसे की जाती है और इसकी शुरुआत केसे हुई?
पपीते की खेती की शुरुआत साउथ अमेरिका के मेक्सिको और कोस्टा रिका में हुई पपीता मुख्य रूप से उष्ण प्रदेशीयफल है इसमें विटामिन A,B,C पाए जाते हैं यह हमारे शरीर के डायग्नोस्टिक सिस्टम को सही रखता है।
उपयुक्त मिट्टी एवं जलवायु
दोमट मिट्टी एवं हल्की दोमट मिट्टी जिसका PH 6.5 -7.5 हो जिसका जल निकास अच्छा हो वह सर्वाधिक उपयुक्त होती है।
पपीते की खेती का तापमान
पपीते की खेती के लिए उपयुक्त तापमान 20 से 30 डिग्री सेल्सियस होना चाहिए।
पपीता लगाने का सही समय
पपीते के पौधे को हम अक्टूबर नवंबर वह मार्च अप्रैल में इसको लगा सकते हैं पौधे लगाने के 6 -7 महीने बाद इसका हार्वेस्टिंग कर सकते हैं और 11 से 15 महीने तक इसकी हार्वेस्टिंग की जा सकती हैं।
पपीते की प्रमुख किस्मे
1. रेड लेडी 786
यह एक लोकप्रिय किस्म है इसमें फल का वजन 1.5 से 2 किलोग्राम तक होता है यह खाने में अत्यधिक स्वादिष्ट एवं मीठा होता है यह रिंग स्पॉट वायरस के प्रति सहनशील भी होती है।
2.पूसा मजेस्टी
यह पेपेन देने वाली किस्म होती है पेपन उत्पादन के लिए इस किस्म का प्रयोग ज्यादा होता है इस किस में पर्याप्त मात्रा में पेपेन निकलता है।
3.पूसा ड्वार्फ
यह पपीता की डायोशियस किम है इनके पौधों का आकार मुख्ता छोटा होता है तथा अधिक उत्पादन देते हैं यह मीठा एवं वजनदार होते हैं मुख्यतः इसका वजन 1 से 2 किलोग्राम तक भी होता है यह जमीनी सत्तह से 25 से 30 सेंटीमीटर ऊपर से लगना शुरू हो जाते हैं। इसकी पैदावार 40 से 50 किलोग्राम प्रति पौधा होती है तथा यह पकने के बाद पीले रंग के तथा इसका गुदे का रंग भी पीला होता है।
4.पूसा नन्हा
यह बोनी पपीता की किस्म मानी जाती है जिसमें फल 15 से 20 सेंटीमीटर जमीनी सतह से ऊपर फल लगना शुरू हो जाते हैं बागवानी में इसमें घमलो एवं छतों भी लगाया जा सकता है। जो 3 वर्षों तक फल दे सकती है इसमें प्रति पौधे 25 किलोग्राम तक फल प्राप्त होता है।
पपीते की खेती के लिए जुताई
पपीते की बुवाई से पहले जमीन की गहरी जुताई की जानी चाहिए। तथा इसमें सड़ी हुई गोबर और वर्मी कंपोस्ट खाद डालनी चाहिए व 1 एकड़ में गोबर खाद 5 से 10 टन डालनी चाहिए। कल्टीवेटर 2 से 3 बार से चला कर जमीन को मुलायम कर देना चाहिए।
गड्ढे का आकार
गड्ढे का आकार 45×45×45 सेंटीमीटर होना चाहिए।
पौधे से पौधे की दूरी
5 से 5 फीट पौधे से पौधे की दूरी व लाइन से लाइन की दूरी 7 फीट रखनी चाहिए जिससे अधिक पौधे अधिक उत्पादन मिल सकता है।
सिंचाई
पपीते के पौधों की अच्छी वर्दी तथा अच्छी गुणवत्ता युक्त फलों उत्पादन हेतु मिट्टी में सही नमी स्तर बनाए रखना बहुत जरूरी होता है
नमी की अत्यधिक कमी के कारण पौधों की वर्दी फलों की उपज पर विपरीत प्रभाव पड़ता है सामान्य सर्दी के समय 10 से 15 दिन के अंतराल से तथा गर्मी के दिनों में 5 से 6 दिनों के अंतराल में आवश्यकता अनुसार सिंचाई करनी चाहिए।
पपीते के पौधों को ड्रिप इरीगेशन एवं फ्लड इरिगेशन दोनों तरीकों से इसकी सिंचाई कर सकते हैं तथा सबसे सही तरीका इन लाइन ड्रिप इरिगेशन सिस्टम होता है जो पौधों को सही समय पर बराबर मात्रा में पानी दे देगा और पौधों की ग्रोथ अच्छी तरह से होगी ड्रिप इरिगेशन सिस्टम में पानी की भी बचत होती हैं।
पपीते की खेती के लिए खाद
NPK(नाइट्रोजन फास्फोरस पोटाश) NPK का प्रयोग प्रति पौधे 200 से ढाई सौ ग्राम की मात्रा में प्रयोग कर सकते हैं तथा पौधे की उम्र के हिसाब से खाद की मात्रा बढ़ा वह घटा भी सकते हैं।
निराई गुड़ाई
जिस खेत में पपीता लगा हो उसमें खरपतवार को हटा देना चाहिए क्योंकि ज्यादा खरपतवार होने से फलों का उत्पादन घट सकता हैे। क्योंकि पपीते की जड़े छितराईं ही होती है पहले साल में गहरी जुताई बहुत जरूरी होती है।
उत्पादन:- हर एक पौधे पर 50 से 70 किलो का उत्पादन होता है।
पपीता में होने वाली बीमारियां
रिंग स्पॉट वायरस

यह वाइरस पपीते के पौधों के लिए सबसे घातक साबित होता है इसमें पत्ते पीले एवं धब्बेदार हो जाते हैं फल पर पीले रंग के धब्बे पड़ जाते हैं अतः इस वायरस से प्रभावित पौधों को जल्द से नष्ट कर देना चाहिए।
लीफ कर्ल वायरस

यह एक वायरस है इसका नाम (लीफ कर्ल वायरस) है।इस वायरस के कारण पौधे के पत्ते पूरी तरह से सिकुड़ जाते हैं पत्ते पीले पड़ के झड़ जाते हैं।
कारण
सफेद मक्खी (किट) जो पत्तियों पर बैठकर उसे वायरस ग्रसित कर देती हैं।
पपीते में होने वाली बीमारियों की रोकथाम इसाबियान एवं एकतारा (सिंजेंटा) 40 ml इसाबियान 5 ग्राम एकतारा 15 लीटर पानी में डालकर छिड़काव करें।
पपीता खाने के फायदे
पपीता स्वास्थ्य के लिए बहुत ही लाभकारी होता है इसका सेवन न सिर्फ पाचन तंत्र को मजबूत करता है बल्कि यह मोटा पर को कम करने में भी सहायक है यह कहीं बीमारियों में मदद करने के लिए सहायक माना जाता है। पेट की बीमारी में पपीता लाभकारी पेट में कब्ज की समस्या में भी यह फल लाभकारी है। आंखों की रोशनी बढ़ाने के लिए वीडियो पर काफी कारगर होता है।विटामिन ए भरपूर मात्रा में पाया जाता है जो आंखों की रोशनी बढ़ाने में सहायक भूमिका निभाता है पपीते में फाइबर पोटेशियम और विटामिन भरपूर मात्रा में पाया जाता है जिससे हृदय संबंधित खतरे कम हो जाते हैं।
गठिया बीमारी में फायदेमंद
पपीता में एंटी इन्फ्लेमेटरी एंजाइम पाया जाते हैं जो गठिया के कारण होने वाले दर्द को दूर करने में मदद करता है।
मोटापा कम करने में सहायक
एक मध्यम आकार के पपीते में 120 कैलोरी होती है अगर आप वजन घटाना चाहते हैं तो पपीते का सेवन जरूर करें इसमें मौजूद फाइबर्स वजन घटाने में मददगार होते हैं पपीते में फाइबर्स एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होता है अपने इन्हीं गुना के चलते यह कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने में काफी असरदार रहता है। इसी तरह पपीता का सेवन करने से और भी अनेक फायदे हो सकते हैं जैसे डेंगू बुखार को ठीक करने में कारगर लीवर को स्वस्थ रखने में सहायक होता है इम्युनिटी बढ़ाने में भी मददगार त्वचा और बालों के लिए भी लाभकारी साबित होता है।
कोलेस्ट्रॉल कम करने में फायदेमंद
पपीते में फाइबर्स एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होता है अपने इन्हीं गुना के चलते यह कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने में काफी असरदार रहता है।
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किसान भाई खेती के बारे और जानकरी के लिए भारत सरकार की वेबसाइट देखे।

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