मूंग की खेती की जानकारी
मूंग की खेती की जानकारी ब्लॉग में हम ज्यादा पैदावार की किस्मे कोनसी है विधिया सावधानी और तरीके के बारे में जानकरी प्राप्त करेंगे तो दलहन के परिचय से शुरू करते है। मूंग की फसल दलहनी फसल है तथा मूंग की फसल भारत में अपना महत्वपूर्ण स्थान रखती है। मूंग में 24% प्रोटीन पाया जाता है।अधिक तापमान सहन करने वाली शंकर प्रजातियों के विकास के कारण मूंग की फसल लाभदायक हो रही है नई-नई तकनीक अपना कर अधिक उत्पादन 10 से 15 क्विंटल प्रति हेक्टेयर में लिया जा सकता है।
मूंग की फसल का समय
मूंग की फसल ग्रीष्म ऋतु या वर्षा कालीन में लगा सकते हैं सिंचित खेती व असिंचित खेती में मूंग की फसल लगा सकते हैं।गर्मी के दिनों में 15 मार्च से 15 अप्रैल के बीच में लगा सकते हैं। वह गर्मी के दिनों में मूंग की फसल में बीमारियां कम होती है। वर्षाकालीन ऋतु आने तक फसल प्राप्त कर सकते हैं तथा वर्षाकालीन में असिंचित क्षेत्र में मूंग की फसल ले सकते हैं।वर्षा ऋतु में ज्यादातर हाइब्रिड किस्म का चुनाव करना चाहिए जिससे अधिक उत्पादन प्राप्त किया जा सके वह गर्मी के मौसम में जल्दी पकने वाली किस्म का उपयोग करें।
मूंग की वैरायटी
मूंग की फसल लगाने से पहले उच्च गुणवत्ता वाले हाइब्रिड किस्म का उपयोग करना चाहिए जिससे मूंग की फसल में रोग व कीटों का प्रकोप कम हो तथा अच्छा उत्पादन मिल सके।
मूंग की IPM 205-7 विराट किस्म
यह किस्म 55 से 58 दिनों में पक्क कर तैयार हो जाती है। लगभग 6 क्विंटल प्रति एकड़ में इसका उत्पादन लिया जा सकता है। कम पानी में कम दिनों में फसल पक्क कर तैयार हो जाती है। पीला रोग के प्रति सहनशील होती है।
मूंग की PDM-139 सम्राट किस्म
यह वैरायटी 60 से 65 दिनों में पक्क कर तैयार हो जाती है। इसका उत्पादन 6 से 7 क्विंटल प्रति एकड़ में ले सकते हैं। इस वैरायटी की विशेषता यह है कि कम पानी में फसल तैयार हो जाती है।
मूंग की IPM-410-3 शिखा किस्म
यह वैरायटी जो की 60 से 65 दिनों में तैयार हो जाती है। वह इसका उत्पादन क्षमता 5 से 7 क्विंटल प्रति एकड़ में प्राप्त हो जाती है। पीला मोजेक और पाउडरी मिल्डयू रोग के प्रति प्रतिरोधी होती है।
मूंग की MH-421 किस्म
यह वैरायटी जो की 65 से 70 दिनों में पककर तैयार हो जाती है।इसका उत्पादन 5 से 6 क्विंटल प्रति एकड़ से प्राप्त होती है। वह इस वैरायटी की खास बात यह है कि यह पिला मोजैक रोग के प्रति प्रतिरोधी होती है।
मूंग की IPM2-14 किस्म
यह वैरायटी 65 दिनों में पक कर तैयार हो जाती है। उत्पादन क्षमता 4 से 5 क्विंटल प्रति एकड़ प्राप्त होती है।
नोट :-
यह सर्वश्रेष्ठ किस्में है वह किसान भाइयों आप फसल मिट्टी व जलवायु पर डिफरेंट करती है। इसलिए आप एरिया वाइज देख ले की कौनसी बेस्ट वैरायटी ज्यादा युज होती है।आप उसे अपने खेतों में लगाएं।
मूंग की फसल की जमीन तैयारी
ग्रीष्मकालीन में मूंग की फसल-रबी की फसल काटने के बाद खेत की जुताई कर देनी चाहिए। और 4-5 दिन तक धूप लगने दे उनके बाद खाद डाल के मूंग की फसल लगाये। प्रति एकड़ में ट्रॉली खाद डालें वह खेत को भुरभुरा बना ले।
मूंग बुवाई के समय खाद का प्रयोग
मूंग फसल की बुवाई के समय आप बेसल डोज सिंगल सुपर फास्फेट 50 किलोग्राम डी.ए.पी 15 किलोग्राम उनके साथ माइक्रोन्यूट्रिएंट्स लगभग 3 किलोग्राम प्रति एक एकड़ में डाले।
मूंग की फसल की बुवाई
मूंग की फसल की बुवाई से पहले जमीन को तैयार करके रखें। लाइन से लाइन की दूरी 10 से 12 इंच रखें। इससे पौधों में वायु संचारण अच्छे से होगा। वह पौधे की अच्छी ग्रोथ होगी फलिया ज्यादा लगेगी जिससे अधिक उत्पादन प्राप्त होता है।
मूंग की फसल में खरपतवार नियंत्रण
मूंग की फसल में खरपतवार नियंत्रण रखना जरूरी है क्योंकि खरपतवार नियंत्रण नहीं होगा तो उत्पादन में कमी आ सकती है समय पर हाथों से निराई गुड़ाई करें। जिससे खरपतवार नष्ट हो जाएंगे। नियंत्रण के लिए वेलर-32 एक लीटर या 1200 मिली प्रति एकड़ में 200 लीटर पानी में घोलकर स्प्रे करें।
बारिश में मूंग की खेती
बारिश में मूंग की फसल लगाते हैं। तो आप बुवाई कर सकते हैं। तो आप असिचिंत खेतों मे मूंग की फसल ले सकते हैं बारिश के मौसम में आप एक- दो सिंचाई करते हैं तो अधिक पैदावार बढ़ सकती है।
मूंग की फसल में कितने पानी देने चाहिए?
प्रथम निराई बुवाई के 20-25 दिन के भीतर व दूसरी सिंचाई 40 से 45 दिन में करनी चाहिए।
मूंग की अच्छी पैदावार के लिए क्या करें?
मूंग फसल की अच्छी पैदावार के लिए फसल चक्र अपनाना बेहद जरूरी होता है।
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