लोबिया की खेती कब और कैसे करें ? लोबिया की खेती का समय ? इन सभी प्रश्नों के हल को खोजेंगे और ये भी जानेगे की ज्यादा पैदावार की किस्मे कोनसी है विधिया सावधानी और तरीके के बारे में जानकरी प्राप्त करेंगे तो दलहन के परिचय से शुरू करते है।
लोबिया की खेती वर्षाकालीन व ग्रीष्म काल शाकीय फसल है। इसके पौधे की बढ़वार व फैलाव के आधार पर सीधे व रैंकर सहारा लेकर चढने वाले पौधे होते हैं।
लोबिया की खेती (lobia ki kheti )
लोबिया की खेती के लिए जलवायु
लोबिया ग्रीष्मकालीन फसल है लेकिन इनको आद्रता वाले उष्ण क्षेत्र में उगाया जाता है। गर्मी व सुखे के प्रति सहनशील होती है वह पाला इनके लिए हानिकारक होता है।अच्छा उत्पादन पाने के लिए तापमान 29 डिग्री से 35 डिग्री के बीच होना चाहिए।मैदानी भागों में जायद तथा खरीफ दोनों मौसम में उगाया जा सकता है। अधिक बारिश जल का भराव के कारण इस खेती में हानि हो सकती है वह जमीन का पी.एच मान 5 से 6 होना चाहिए वह हल्की मिट्टी में भी इसकी फसल अच्छी ली जा सकती है।
लोबिया फसल की बुवाई
लोबिया की बुवाई फरवरी- मार्च और वर्षा ऋतु में जून- जुलाई दोनों मौसमों में की जा सकती है। लोबिया एक हेक्टर में 12 से 20 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है। बीज की मात्रा बुवाई के आधार पर किया है।लोबिया छिटकना तथा पंक्तियों में करें तो। लोबिया की बुवाई नालियों व मेड पंक्तियों में की जाती है। पंक्तियां के बीज बुवाई करें तो बीज की आवश्यकता कम पड़ती है।लोबिया झाड़ीनूमा व झाडी़नूमा प्रजातियां होती हैं।झाड़ीनुमा एवं बौनी किस्म के लिए पंक्ति से पंक्ति की दूरी 40 से 50 सेमी व पौधे से पौधे की दूरी 10 से 15 सेंटीमीटर होनी चाहिए। और फैलने वाली किस्म पंक्ति से पंक्ति की दूरी 70 से 75 सेमी वह पौध से पौध की दूरी 20 से 25 सेंटीमीटर रखें।
लोबिया खेती के लिए भूमि का चुनाव
लोबिया फसल लगाने से पहले खेत की अच्छी तरह से जूताई करनी चाहिए। गर्मियों के दिनों में गहरी जुताई करें वह हेरा या कल्टीवेटर से जमीन को भुर- भुरी कर लेनी चाहिए वह जमीन का पीएच मान 5 से 6 होना चाहिये। बलुई दोमट मिट्टी व हल्की दोमट मिट्टी में अच्छा उत्पादन मिल सकता है और भारी जमीन की आवश्यकता नहीं पड़ती है क्योंकि लोबिया एक ऐसी फसल है।
लोबिया की खेती के लिए सिंचाई एवं जमीन की तैयारी
गर्मियों के दिनों में लोबिया की सिंचाई समय-समय पर करनी चाहिए तथा चार से पांच दिनों के अंतराल में सिंचाई करें। जमीन की तैयारी के लिए गर्मियों के दिनों में गहरी जुताई करनी चाहिए जिससे खेत में नमी बनी रहे वह 200 से 250 क्विंटल गोबर की सड़ी हुई खाद खेत में डालें। 30 से 40 किलोग्राम नाइट्रोजन व 50 से 60 किलो ग्राम फास्फोरस वह 50 किलोग्राम पोटाश प्रति हेक्टेयर के हिसाब से खेत में जुताई करते वक्त डालें।
लोबिया की खेती में खरपतवार नियंत्रण
लोबिया की सिंचाई करते समय स्टांप 3.30 लीटर को 1000 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टर के हिसाब से पहली सिंचाई के साथ देवे। वह 4 से 5 सप्ताह बाद खेत में निराई गुड़ाई कुदाली व खुरपी की सहायता से खेत में खरपतवार निकाले।
लोबिया की उन्नत किस्में (लोबिया की खेती)
लोबिया अंकुर गोमती किस्म

यह एक लोकप्रिय किस्म है। इसे गर्मियों के सीजन में लगाया जाता है इसका फल गहरा व हरे रंग का होता है फल लंबा होता है।
लोबिया सिजेंटा YB-7 किस्म

इसका आकार लंबा व पतला होता है इसे यार्ड लोंग बीन भी कहते हैं।
लोबिया काशी कंचन किस्म

इसकी बुवाई अक्टूबर से जनवरी महीना को छोड़कर पूरे भारत में की जाती है। यह गहरी हरी फलिया होती है वह उनकी लंबाई 45 से 50 सेंटीमीटर होती है। तथा पौधे सीधे होते हैं। यह फलिया मुलायम गुदेदार होती है। इसकी पहली तोड़ाई 50 से 55 दिनों में की जा सकती है। यह उकठा रोग व जड़ सड़न पीला रोग के प्रति सहनशील किस्म होती है।
लोबिया पूसा कोमल किस्म

यह झाड़ीनुमा किस्म है। ये किस्म मैदानी भागों में सफलतापूर्वक उगाई जा सकती है। यह झुलसा रोग के प्रति सहनशील होती है। इसका उत्पादन 80 से 100 क्विंटल प्रति हेक्टर तक होती है।
लोबिया पूसा बरसाती किस्म
यह एक अगेती किस्म होती है। इसकी बुवाई वर्षाकालीन में की जाती है। यह हरे गहरे रंग की होती है वह इसकी तुड़ाई 45 से 50 दिनों में की जा सकती है।
लोबिया कौन से महीने में लगाया जाता है?
लोबिया खेती का अनुकूल समय
- बरसात के सीजन में (जून से जुलाई)
- गर्मी के सीजन में (फरवरी से मार्च)
- सर्दियों के सीजन में (अक्टूबर से नवंबर)
लोबिया की खेती के लिए उचित तापमान
मिनिमम तापमान 15 से 16 डिग्री सेल्सियस
अधिकतम तापमान 35 से 36 डिग्री सेल्सियस
लोबिया बीज का उपचार
देसी बीज के उपचार के लिए 1 किलो बीज को 5 ग्राम कार्बेंडा जिम 12% मेन्कोजेब 63% फंगीसाइड का प्रयोग करें।
वह हाइब्रिड किस्म का ट्राइकोडरमा 5 ग्राम प्रति किलोग्राम के हिसाब से उपचार करें।
लोबिया की खेती में जैविक खाद का उपयोग
गोबर खाद 2 से 3 ट्रॉली
मुर्गी की खाद 1 ट्राली
वर्मी कंपोस्ट या केंचुआ खाद 4 से 5 क्विंटल
नीम की खली या सरसों की खली का प्रयोग करें।
लोबिया का पहला स्प्रे
25 से 30 में पहला स्प्रे करें।
बायर का एक्ट्राकॉल 40 ग्राम
सिजेंटा का एकतारा 8 ग्राम
15 लीटर पानी में डालकर छिड़काव करें।
लोबिया का दूसरा स्प्रे
45 से 50 दिन में दूसरा स्प्रे करें।
इंडोफिल M-45 फंगीसाइड 40 ग्राम
कृषि रसायन इक्का 10 ग्राम
15 लीटर पानी में डालकर छिड़काव करें।
लोबिया फसल का पहला खाद
25 से 30 दिन में हो जाए तब यूरिया खाद 30 किलोग्राम माइक्रोन्यूट्रिएंट्स 5 किलोग्राम प्रति एकड़ के हिसाब से जड़ों के पास में देकर सिंचाई करें।
लोबिया फसल का दूसरा खाद
45 से 50 दिनो में दूसरी बार खाद देना चाहिए।
कैल्शियम नाइट्रेट 12 किलोग्राम
बोरोन B-20% 500 ग्राम प्रति एकड़ के हिसाब से जड़ों के पास देखकर सिंचाई करें।
लोबिया फसल में लगने वाले रोग व कीट
माहू रोग
यह एक रस चूस कीट होता है जो पत्तियों व तनो पर चिपके होते हैं। वह गोंद की तरह चमकते हैं। धीरे-धीरे ये रोग बढ़ता है और तनो पत्तियों पर बैठकर रस चूसते हैं। पत्तियां व तने सूख जाते है। इसके उपचार के लिए इमिडाक्लोप्रिड 70% WG 2 से 3 ग्राम 15 लीटर पानी में डालकर छिड़काव करें।
येलो मोजेक रोग
यह रोग काफी घातक होता है। यह रसचुसक कीटो से फैलता है। वह पौधा पूरा पीला पड़ जाता है। अगर ज्यादा पौधे पीले पड़े हो तो उसको उखाड़ देना चाहिए। उपचार के लिए Thiamethoxam 25% WG, Acetamprid 20% SP दोनों को मिलाकर छिड़काव करें।
फल छेदक कीट
यह कीट सबसे पहले पत्तियों पर अटैक करती है। पत्तियों को खाती है वह धीरे-धीरे फलियों के अंदर घुसकर अंदर से बीज खाती है। जिससे उत्पादन में कमी हो जाती है।वह फलिया खराब हो जाती है यह कीट बारिश के मौसम में इसका ज्यादा प्रकोप देखने को मिलता है। इसके उपचार केलिए इमामेक्टिन, बेंजोएट 5% sg 6 से 8 ग्राम 15 लीटर पानी में डालकर स्प्रे करें।
लोबिया की फसल कितने दिन की होती है?
लोबिया की फसल 55 से 60 दिनों के बाद में इसकी पहली तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती है ।वह इसका उत्पादन 80 से 90 क्विंटल प्रति हेक्टेयर में लिया जा सकता है।
लोबिया का दूसरा नाम क्या है?
लोबिया को चवला फली भी कहते हैं।
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