करेले की उन्नत किस्में,करेले की खेती : उन्नत किस्में चयन करके अधिक मुनाफा पाए।

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Table of Contents

करेले की उन्नत किस्में ,हाइब्रिड करेले की खेती

करेले की खेती और ये भी जानेगे की ज्यादा पैदावार वाली करेले की उन्नत किस्मे कोनसी है। विधिया सावधानी और तरीके के बारे में जानकरी प्राप्त करेंगे।करेला (bitter gourd) भारत के सभी प्रदेशों में उगाया जाता है। वह सभी प्रदेशों में सब्जी का लोकप्रिय स्थान रखता है। करेले की केवल सब्जी नहीं बल्कि औषधि के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।

करेले में कड़वा पदार्थ पाया जाता है जिससे पेट में उत्पन्न हुए सूत्रकृमी व अन्य प्रकार के कर्मियों को खत्म किया जा सकता है। करेले का उपयोग दवाइयां बनाने में प्रयोग लिया जाता है।करेले के फल व पत्तियों का रस निकालकर पीने से पेट के सारे रोगों से लड़ा जा सकता है। करेले में अनेकों प्रकार के तत्व व खनिज पाए जाते हैं। जैसे प्रोटीन, वसा व कार्बोहाइड्रेट विटामिन ए व विटामिन सी इत्यादि पाए जाते हैं।

करेले की खेती के लिए भूमि का जलवायु

करेले की फसल को अनेक प्रकार की मिट्टी में उगाया जा सकता है। इसका अच्छा उत्पादन पाने व अच्छी फसल लेने के लिए दोमट मिट्टी सबसे अच्छी मानी जाती है। वह जल निकासी की अच्छी सुविधा का प्रबंध होना अनिवार्य है।
करेले की खेती के लिए भूमिका पीएच मान 6.5 से 7.5 तक होना चाहिए। वह करेले की खेती के लिए तापमान 20 डिग्री से 40 डिग्री से बीच में सबसे अच्छा माना जाता है।

करेले की खेती के लिए भूमि की तैयारी

करेले की बुवाई से पहले खेत की गहरी जुताई 2 से 3 बार मिट्टी पलटने वाले हल तथा कल्टीवेटर से जमीन की अच्छी तरह जुताई करें। वह बाद में पाटा लगाकर जमीन को समतल बनाले व मिट्टी को भुर-भुरा करले।प्रति हेक्टेयर में 3 से 4 ट्रॉली गोबर की सड़ी हुई खाद डालें। साथ में कंपोस्ट खाद भी डालें इसके अलावा
50 किलोग्राम यूरिया, 50 किलोग्राम सिंगल सुपर फास्फेट, 50 किलोग्राम डी.एपी 50 किलोग्राम पोटाश खेत की तैयारी की आखिरी समय में डालें।

करेले की खेती के लिए जैविक खाद

रासायनिक खादो के साथ आप जैविक खाद भी डालें जैसे सरसों की खली व नीम की खली प्रयोग करें।

करेले फसल की बुवाई

खेत की तैयारी होने के बाद में बेड का निर्माण करें। 2 फुट का बेड से बेड की दूरी 4 फीट तथा पौधे से पौधे की दूरी 1 से 1.5 फीट रखें। फिर आप क्यारियों में लगा सकते हैं।करेले के पौधे बेलदार होते हैं। इनको चढ़ने के लिए सहारा चाहिए। आप बास की लकड़ियां व तार के सारे इनको चढ़ाया जा सकता है जिससे अधिक उत्पादन ले सकते हैं।

करेले की खेती के लिए अनुकूल समय

करेले की बुवाई ग्रीष्म ऋतु में (फरवरी से मार्च)तक कर सकते हैं।

वर्षा ऋतु में (जून से जुलाई) में बुवाई कर सकते हैं।

करेले की फसल के लिए सिंचाई

खरीफ के मौसम में सिंचाई की आवश्यकता कम होती है तथा बारिश नहीं होने पर सिंचाई करनी पड़ती है। गर्मियों के दिनों में सिंचाई की अत्यंत आवश्यकता होती है। वह अधिक तापमान होने से 4 से 5 दिनों के अंतराल में सिंचाई करनी चाहिए।

करेले की खेती के लिए खरपतवार नियंत्रण

बुवाई के बाद सिंचाई के समय स्टॉम्प वासालीन का प्रयोग करें। वह गर्मियों के दिनों में और वर्षा के दिनों में खरपतवार ज्यादा उगते हैं तो समय पर खरपतवार निकालने व खेत को खरपतवार मुक्त रखें।

करेले फसल की निराई व गुड़ाई

करेले की फसल 25 से 30 दिन की हो तब पहले गुड़ाई करनी चाहिए। जिसमें छोटे-छोटे खरपतवार नष्ट हो जाते हैं। वह पौधे की अच्छी ग्रोथ होती है। करेले की उत्पादन क्षमता में वृद्धि होती है। गुड़ाई कुदाली या फिर खुरपी की सहायता से करें।

करेले की उन्नत किस्में

करेले की अमन श्री किस्म

करेले की उन्नत किस्में

यह एक हाइब्रिड किस्म है। इसे सभी मौसमों में लगाया जा सकता है इसके फल का रंग गहरा हरा होता है। फल की लंबाई 20 से 25 सेंटीमीटर होती है। पहली तुड़ाई 50 से 55 दिनों में की जा सकती है।

करेले कि पूसा हाइब्रिड F1

यह किस्म सभी मौसम में लगा सकते हैं। खासकर यह वर्षा ऋतु में इसकी उत्पादन क्षमता ज्यादा होती है। फल का रंग गहरा हरा होता है। इसका वजन 90 से 95 ग्राम के बीच होता है इसकी पहली तुड़ाई 50 दिन में की जा सकती है।

करेले की SW-811 किस्म

करेले की उन्नत किस्में

यह एक हाइब्रिड वैरायटी है। इसके फल का रंग गहरा हरा होता है। लंबाई 15 से 16 सेंटीमीटर होती है फल का वजन 80 से 85 ग्राम होता है। इसके लगाने का समय जून से जुलाई होता है वह 50 से 55 दिनों में इसकी पहली तुड़ाई कर सकते हैं।

करेले की सिजेंटा (Little champ) किस्म

करेले की उन्नत किस्में

यह एक हाइब्रिड वैरायटी है। इसकी अवधि 140 से 150 दिन की होती है इसका आकार बेलनाकार होता है वह फल की लंबाई 4 से 5 सेंटीमीटर होती है। इसका रंग गहरा हरा होता है। इसकी पहले तुड़ाई 55 से 60 दिनों में कर सकते हैं।

करेले की खेती में दवाइयां का छिड़काव

पहली स्प्रे

जब आपकी फसल 15 से 20 दिन की हो जाए।
• मैनकोज़ेब 75% WP- 40 ग्राम
• इमिडाक्लोप्रिड 17.8% SL-10 ml
• सिलिकॉन चिपको 5 ml

15 लीटर पानी में घोलकर स्प्रे करें।

दूसरी स्प्रे

जब फसल 30 से 35 दिन की हो जाए
• प्रोपिनेब 70% WP फंगीसाइड 40 ग्राम
• थियामेथोक्साम 25% WG 10 ग्राम
• हाइड्रोक्लोराइड प्रोटीन व अमीनो एसिड

15 लीटर पानी में डालके स्प्रे करें।

करेले की फसल में लगने वाले रोग व कीट

करेले का (उकठा रोग)

यह रोग पौधे की तने का जमीन से लगा हुआ भाग गल जाता है। जिससे जड़ों से पौधे के बाकी हिस्सों तक पानी व पोषक तत्व पहुंच नहीं पाते हैं। पत्तियां पीली पड़ जाती है वह पौधा मुरझा जाता है अंत में पौधा मर जाता है।

उपचार

खेत में रोग प्रभावित पौधे को व खरपतवार को नष्ट कर दे वह नियमित रूप से सिंचाई करें
• कॉपर ऑक्सिक्लोराइड 50% WP
• कार्बेन्डाजिम 12% + मेंकोजेब 63% WP
• मेटालेक्सिल 8% +मेंकोजेब 64% WP

50 ग्राम 15 लीटर पानी में डालकर स्प्रे करें।

करेले का (पीला मोजेक रोग)

जब करेले के पौधे को पीला मोजेक रोग अपना शिकार बना लेता है तो पौधे की पत्तियों पर हल्के पीले हरे रंग के धब्बे दिखाई देते हैं। यह रोग सफेद मक्खियों के द्वारा फैलता है। फल का आकार छोटा हो जाता है जिससे करेले की गुणवत्ता खराब हो जाती है।

उपचार

संक्रमित पौधों को उखाड़ दे वह नष्ट कर दे सफेद मक्खी को नियंत्रित करने के लिए खेत में 25 येलो स्टिकी ट्रैप प्रति हेक्टर में लगायें।
• थियामेथोक्साम 25% WG (0.50 ग्राम)
• डाइफेंथियूरान 50% WP (1.50 ग्राम)

प्रति 1 लीटर पानी में डालकर स्प्रे करें।

करेले का (मृदूरोमिल आसित रोग)

यह रोग पत्तियों के ऊपरी सतह पर पीले और भुरे रंग के धब्बे बनते हैं। उच्च आद्रता में पत्तियों की निचली सतह पर सफेद पाउडर जैसी फफूंदी की परत दिखाई देती है जो पौधों के पोषक तत्वों को चुसती है।

उपचार

• एजोक्सिस्ट्रोबिन 11% + टेबुकोनाजोल 18.3% SC (1.50 ग्राम)
प्रयोग प्रति 1 लीटर पानी में स्प्रे करें।

करेले की फल छेदक इल्ली

यह इल्ली करेले के पत्तियों व करेले के फल के अंदर घुसकर फल को खाती है। जिससे उत्पादन क्षमता में कमी आ जाती है।

उपचार

• प्रोफेनोफास 40% ,सैपरमेथ्रीन4% EC
2 ml प्रति 1 लीटर पानी में डालकर स्प्रे करें।

करेले की खेती किस महीने में करें?

फरवरी मार्च से जून जुलाई महीनों में कर सकते हैं।


करेला बोने का सही समय क्या है?

करेला की खेती ज़ायद और खरीफ दोनों मौसम में की जाती है अगेती खीरा बुवाई का सही समय फरवरी से मार्च तक चलता है।


करेले की सबसे अच्छी वैरायटी कौन सी है?

पूसा हाइब्रिड 1

करेले में कौन सा खाद डालें?

गोबर की खाद या कम्पोस्ट खाद डालें

करेले के लिए कौन सा उर्वरक सबसे अच्छा है?

50% पोल्ट्री खाद + 50% NPK इन खादों का उपयोग करे और अच्छी उपज पायें

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