राम राम किसान भाइयों कपास की फसल में हरा तेला रोग का तुरंत छुटकारा पायें सिर्फ 10 मिनटो में आइये देखे इस ब्लॉग में। किसान भाइयो कपास की फसल के रोगो की जानकारी सरल एवं साधारण भाषा दी गई हैं।
कपास की फसल में हरा तेला रोग
ज्यादा बारिश और मौसम में नमी के चलते नरमा और कपास की फसल को नुकसान हो रहा है क्योंकि ऐसी मौसम परिस्थितियों के कारण नरमा कपास में उखडा रोग लग रहा है। हरी और सफेद रंग के मच्छरों का भी प्रकोप देखा जाता है तथा नरमा और कपास में पीलापन की भी शिकायत देखने को मिल रही है।
हरा तेला व सफ़ेद मक्खी रोग
- हरा तेला – यह रसचुसक कीट बारिश के मौसम में ज्यादा देखने को मिलता हैं ये पोधे की पत्तियों की पिछली सतह पर रस चूसते है।
- सफ़ेद मक्खी – ये रस चुसक कीट पत्तो के पिछली सतह पर रस चूसते हैं जिससे पत्तिया में पीलापन आ जाता हैं पत्तिया झड जाती हैं।
अंधाधुंध तरीके से रासायनिक दवाओ का प्रयोग
किसान भाइयों नरमा और कपास को इन समस्याओं से बचने के लिए पहले काम तो आप यह करें की ज्यादा दावाओ का छिड़काव तथा रासायनिक खादों से भी फसल को नुकसान होता है। और अब तो मौसम में नमी और कभी ज्यादा धूप ऐसी स्थिति में ज्यादा दवाओ के प्रयोग से फसल में इतनी गर्मी हो जाती है की फसल जुलस जाती है इसलिए सीमित मात्रा में और दवाओ का छिड़काव करें।
हरा तेला रोग से केसे छुटकारा पायें?
यदि उखडा की समस्या है तो सबसे पहले रोगी पौधों को उखाड़ कर उन्हें नष्ट कर दें उनकी एक किलोग्राम मात्रा को प्रति हेक्टेयर की दर से आवश्यक सड़ी हुई गोबर की खाद में अच्छी तरह मिलाकर 8-10 दिन तक घर पर छायादार जगह पर रखें इसके बाद बारिश से पहले यह सिंचाई से पहले खेत में छिड़क दें।
रोकथाम
यदि सफेद या हरे रंग के मच्छरों या हरा तेला की समस्या है तो इसकी रोकथाम के लिए आप डिमिथाइरॉएड 30 EC दवा की 1 मिली लीटर मात्रा का प्रति लीटर पानी की दर से घोल बनाकर छिड़काव करें यदि इन मच्छरों का प्रकोप ज़्यादा है तो आप इमिडाक्लोप्रिड 17.8 SL नामक दवा की 1 ml प्रति 3 लीटर पानी की दर से गोल बनाकर छिड़काव कर सकते हैं। ध्यान रखें दोनों में से किसी भी एक दवा का ही प्रयोग करें।
कपास की फसल में पीलापन कैसें दूर करें
किसान भाइयों ध्यान रखें ज्यादा यूरिया का छिड़काव न करें क्योंकि ज्यादा यूरिया डालने से पौधे कोमल हो जाते हैं और इससे कीटों का प्रकोप ज्यादा होता है। इसलिए यदि पीलापन की शिकायत है तो इसकी रोकथाम के लिए NPK 19:19:19 या NPK 13:0:45 की 10 ग्राम मात्रा का प्रति लीटर पानी की दर से घोल बनाकर छिड़काव कर सकते हैं इसके अलावा सबसे जरूरी बात पौधों के बीच उचित दूरी बनाए रखें क्योंकि पौधे पास पास होंगे तो हवा क्रॉस नहीं हो पाएगी और फसल को नुकसान होगा।
कपास में कौन कौन से रोग होते हैं?
जुल्सा रोग और जड़ गलन रोग होता हैं।
कपास की फसल में कौन सा खाद डालना चाहिए?
कपास की फसल में गोबर खाद तथा फास्फोरस 30 किलोग्राम 90 नाइट्रोजन किलोग्राम प्रति हैक्टेयर से डालें।
कपास की अच्छी पैदावार के लिए क्या करें?
सिंचाई हेतु बूंद बूंद सिचाई का प्रयोग करें। इससे अच्छा परिणाम मिलता हैं।
कपास में पोटाश कब देना चाहिए?
फुल आने की अवस्था में देना चाहिये।
इसी के साथ आप हमारे अन्य ब्लॉग पढ़ सकते है जिसकी लिंक निचे दी गई है।
सरकारी योजनाओ सम्बन्धी जानकारी के लिए राजस्थान सरकार की वेबसाइट पर क्लिक करे।
“नमस्ते! मैं हूं मनीष सांखला, आपका अपना किसान और ब्लॉगर। कृपया मेरे साथ जुड़ें krishiplus.com पर और खोजें खेती के नए राज़ और खेती के अद्वितीय उपकरणों के बारे में रोचक जानकारियां। आइए, साथ में खोजें भारतीय कृषि की नई दुनिया!