ड्रैगन फ्रूट की खेती करके किसान भाइयों आप लाखों रुपए कमा सकते हैं। वह सावधानियां विधियां और अनेकों प्रकार की जानकारियां इस ब्लॉग में देंगे।
ड्रैगन फ्रूट की खेती
ड्रैगन फ्रूट की खेती एक उभरी हुई सुपर फसल है। ड्रैगन फ्रूट को उष्णकटिबंधीय फूड्स माना जाता। है यह पोषक तत्वों से भरपूर होता है वह पुरानी बीमारियों पर जल्दी नियंत्रण करने में मदद करता है। शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। पाचन तंत्र को मजबूत व स्वस्थ रखने में कारगर माना जाता है। ड्रैगन फ्रूट में विटामिन व आहार फाइबर से भरपूर होता है।
जलवायु और मिट्टी
ड्रैगन फ्रूट को उष्णकटिबंधीय व उपोषणकटिबंधीय दोनों क्षेत्रों में उगाया जा सकता है। वह भिन्न-भिन्न प्रकार की जलवायु की स्थितियों में बढ़ाने की क्षमता होती है। ड्रैगन फ्रूट का पौधा 20 डिग्री सेल्सियस से 30 डिग्री सेल्सियस तक तापमान सहन करने की क्षमता होती है। लेकिन 38 डिग्री से 40 डिग्री सेल्सियस तापमान सहन करने में अक्षम है तथा जीरो डिग्री सेल्सियस तक पौधा सहन कर सकता है।
ड्रैगन फ्रूट की वर्षा की आवश्यकता होती है वह उच्च कार्बनिक पदार्थ वाली रेतीली दोमट मिट्टी सर्वोपरि मानी जाती है। अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी होनी चाहिए पौधों के विकास के लिए मिट्टी का पीएच मान 5.5 से 6.5 उच्च श्रेणी का माना गया है।
ड्रैगन फ्रूट के मुख्य तीन प्रकार :-
- सफेद गूदे वाला – लाल रंग का फ्रूट
- लाल गूदे वाला – लाल रंग का फ्रूट
- सफेद गूदे वाला – पीले रंग का फ्रूट पोषक तत्वों से भरपूर
रोपण विधि व समय रोपण का समय
आमतौर पर जुलाई अगस्त माना जाता है रोपण के लिए 20 से 25 सेंटीमीटर लंबे पौधों के तने की कमल को काटकर उपयोग में लिया जाता है। ड्रैगन फ्रूट की खेती सूर्य के प्रकाश को बेहद पसंद करती है। रोपण के लिए खुला क्षेत्र उपयुक्त माना गया है।
ड्रैगन फ्रूट की एक पौधे की ऊंचाई 1.5 मीटर से 2 मीटर तक होती है। ड्रैगन फ्रूट की शाखाएं नीचे की ओर लटकने में सक्षम होती है। ड्रैगन के पौधे को चढ़ाने के लिए पोल की आवश्यकता होती है। वह जलवायु के आधार पर प्रति पोल 2 से 4 पौधों की संख्या हो सकती है एकल पोस्ट के ड्रैगन फ्रूट के पौधे को 3×3 मीटर की दूरी पर रोपण किया जाता है।
खाद व उर्वरक
ड्रैगन फ्रूट दिशा रोपण के दौरान 10 से 20 ग्राम प्रति पौधे में जैविक खाद व 100 ग्राम सुपरफास्ट डालें। बेहतर उपज प्राप्त करने के लिए पोषक तत्वों की उच्च आवश्यकता होती है दो वर्षों में प्रति पौधे में 250 से 300 ग्राम नाइट्रोजन 200 ग्राम फास्फोरस 200 ग्राम पोटेशियम देना चाहिए। पोषक तत्वों की खुराक साल में 4 बार देना आवश्यक होता है। ज्यादा उपज प्राप्त करने के लिए नाइट्रोजन का कम उपयोग व पोटाश को दिया जाना चाहिए।
खरपतवार नियंत्रण
खरपतवार की रोकथाम के लिए समय-समय पर निराई- गुड़ाई करना आवश्यक होता है। इसमें रासायनिक दवा का इस्तेमाल न करें तो सबसे अच्छा रहता है।
ड्रैगन फ्रूट की सिंचाई
ड्रैगन फ्रूट के पौधों को ज्यादा पानी की जरूर नहीं होती है। बूंद बूंद सिंचाई ड्रैगन फ्रूट की खेती के लिए सबसे अच्छा माना गया है। ज्यादा पानी इकट्ठा होने से पौधौ में फंगस व पौधे खराब हो सकते हैं। तथा जल की निकासी की सुविधा प्रबल होनी चाहिए।
ड्रैगन फलों की तुड़ाई
मई-जून से पौधों में फूल आते हैं। अगस्त से दिसंबर के महीना में फल आते हैं। मानसून की सीजन में ड्रैगन फ्रूट तैयार हो जाता है। इस फसल में एक बार निवेश करने के बाद 25 वर्षों तक फल प्राप्त कर सकते हैं। इसकी उत्पादन क्षमता 5 से 6 टन प्रति एकड़ में होती है वह आगे आगे वर्षों में इसका उत्पादन बढ़ता ही जाता है।
ड्रैगन फ्रूट के रोग व उपाय
एंथ्रेक्नोज रोग
- कटाई से पहले 15 दिनों के अंतराल में आवश्यकता अनुसार मेन्कोजेब 2 ग्राम 1 लीटर पानी में डालकर छिड़काव करें।
भुरा धब्बा रोग
- खेत को साफ रखें गिरे हुए रोगग्रस्त फलों व पत्तियों को इकट्ठा कर उनका निपटान करना जरूरी होता है। फसल में नमी कम करने के लिए लताओं की छंटाई करे। समय पर कॉपर ऑक्सिक्लोराइड से प्रबंध करें।
फल सड़न रोग
- फसल को खरपतवार मुक्त रखते हुवे तनो की छंटाई करें। कॉपर सल्फेट से रोग पर नियंत्रण पाया जा सकता है।
एफीड, थ्रिप्स व मिलीबग रोग
- इसके नियंत्रण के लिए क्लोरपाइरीफास 1 लीटर पानी में 12 मिली डालके छिड़काव करने से नियंत्रण पाया जा सकता है।
ड्रैगन फ्रूट की खेती कब की जाती है?
फरवरी से अप्रैल के बीच में खेती की जाती हैं।
ड्रैगन फ्रूट का पौधा कितने दिन में फल देता है?
2.5 से 3 साल का एक पौधा तकरीबन 25-30 किलो तक ड्रैगन फ्रूट दे देता है।
ड्रैगन फ्रूट्स किस मौसम में उगते हैं?
गर्मियों के दिनों में (जून से सितंबर) अच्छा मौसम माना जाता हैं।
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