कपास की खेती भारत में सबसे महत्वपूर्ण मानी जाती है।(cotton varieties in india 2024) कपास की किस्म अच्छी होने की वजह से भारत कपास के उत्पादन में दूसरे नंबर पर आता है कपास को सफेद सोना भी कहा जाता है कपास का वस्त्र उद्योग में बहुत महत्व है कपास की खेती अपने एरिया के हिसाब से बीजों का उपयोग करना चाहिए वह नई से नई हाइब्रिड किस्मे अपनाकर कम खर्चे में अधिक मुनाफा प्राप्त करें।
कपास की किस्म
कपास की किस्म में ये सभी महत्त्वपूर्ण है क्रिस्टल का सरपास, राशि 773, राशि 846, टाटा का दिग्गज 5408, श्री राम 361, डॉक्टर 004, मनी मेकर 100, कथा सुपर, प्रभात नवाब गोल्ड, सुपर सरदार, राशि 951, US सुपर 51, US 71, US 91, श्री राम 331, अंकुर का तूफान, मणिक, अजीत 155, अजीत 111
कपास के खाद व उर्वरक
कपास की वॉइस से पहले 5 से 6 ट्रॉली सड़ी हुई गोबर डालें वह रासायनिक खाद सिंगल सुपर फास्फेट प्रति एकड़ 60 से 70 किलो डालें यूरिया प्रति एकड़ 30 किलो डालें साथ में डीएपी 25 किलो प्रति एकड़ व म्यूरेट रेट ऑफ पोटाश 10 किलो प्रति एकड़ बिजाई के समय डालें साथ में ऑर्गेनिक खाद भी इस्तेमाल करें। नीम की खली 50 किलोग्राम प्रति एकड़ डालें वह खेत की अच्छी जुताई कर ले।
ज्यादा पैदावार वाली कपास की किस्म
राशि 926, राशि 773, अजीत 155, क्रिस्टल 09, US 51, राशि 776, ये ज्यादा पैदावार देने वाली किस्मे ये अपने एरिया व जलवायु के आधार पर निर्भर करती है।
कपास खेती के लिए मिट्टी
कपास की खेती के लिए काली मिट्टी सबसे सर्वश्रेष्ठ मानी जाती है। मिट्टी में संतुलित पोषण की अति आवश्यकता होती है व मिट्टी की जांच करवाना अनिवार्य होता है। जिससे पता चले की मिट्टी में किन-किन पोषक तत्वों की कमी है। कपास की फसल हल्की दोमट मिट्टी में भी अच्छी होती है वह मिट्टी का पीएच मान 6 से 7.5 होना चाहिए।
कपास की बुवाई व सिंचाई
कपास की बुवाई मई महीने में सबसे सर्वश्रेष्ठ मानी जाती है। वह राज्यों के हिसाब और जलवायु के हिसाब से जून जुलाई में भी कर सकते हैं। कपास की बुवाई मेड विधि व ड्रिप पर करें। पौधे से पौधे की दूरी 1 फीट रखें व पंक्ति से पंक्ति की दूरी 1 से 2 फीट रखें।कपास की सिंचाई समय अनुसार करें। ग्रीष्मकालीन में 3 से 4 दिनों के अंतराल में सिंचाई करें वह वर्षा ऋतु में खेत में नमी के हिसाब से सिंचाई करें।
कपास की खेती के लिए जमीन की तैयारी
कपास की बुवाई से पहले अप्रैल-मई में जमीन की गहरी जुताई करें वह पलटने वाले हल से जमीन को पलटे 1 से 2 बार कल्टीवेटर चलावे। पाटा चला कर जमीन को भुर- भुरा बना ले। जमीन को एकदम समतल कर दे।
कपास में निराई गुड़ाई
कपास की फसल लगाने के 15 से 20 दिन बाद कपास के साथ खरपतवार उगने लगते हैं 20-25 दिनों बाद कपास की फसल में खुरपी की सहायता निराई व गुडाई करे मिट्टी को पलटने वाला यंत्र से गुड़ाई करें। खरपतवार नियंत्रण के लिए पेंडामैथोलिन पानी के साथ में देवें।
कपास के रोग की दवा
पौधे सुखना (विल्ट)
इस रोग को पुख्ता रोग कहते हैं इस रोग की गति तेज होकर पौधे अचानक सुख का मुरझा जाते हैं एक ही स्थान पर एक पौधा पूजा जाता है और दूसरा पड़ा एकदम स्वच्छ होता है।
उपचार
ट्राइकोडर्मा 1% wp रोको का फंगीसाइड यूज करें 2 ग्राम प्रति 1 लीटर पानी में घोलकर देवे।
कपास का झुलसा रोग
यह रोग कपास की पत्तियों में होता है। पतियों में काले धब्बे वह भुरे धब्बे दिखाई देते हैं जैसे-जैसे रोग बढ़ता है भुरे धब्बे ज्यादा दिखने लगते हैं वह पौधे के पत्ते समय से पहले झड़ जाते हैं।
उपचार
उच्च गुणवत्ता वाले बीजों का चयन करना।झुलसा रोग के प्रति सहनशील किस्म का उपयोग करना। मेनकोजेब पाउडर 2.5 gm या 3 gm कॉपर ऑक्सिक्लोराइड प्रति 1 लीटर में डालकर स्प्रे करें।
कपास में जड़ सड़न रोग (रूट राॅट)
यह कपास में जान-ढलान वाला रोग काम होता है जड़ गलन के कारण पूरा पौधा सूख जाता है ऐसे पौधे उखाड़ के जमीन में दबा देना चाहिए जिससे कि रोग आगे ना फैलें।
उपचार
कार्बेन्डाजिम + मैंकोजेब प्रति 1 लीटर पानी में 2 ग्राम डालकर 100 लीटर पानी में घोलकर प्रति पौधे में डाले।
कपास का गुलाबी सुंडी रोग
ये सुंडी कपास की तिंडे के अंदर घुस जाती है तथा यह भूरे रंग की कीट होती है।
उपचार इसके उपचार के लिए प्रोफेनोफोस 40% साइपरमेथ्रिन 4% EC 2 से 3 म प्रति एक लीटर पानी में डालकर स्प्रे करें।
कपास में सफेद मक्खी व हरा मच्छर रोग
कपास में हरा मच्छर वह सफेद मक्खी दोनों को अटैक ज्यादा रहता है ये कीट पत्तियों के पीछे बैठकर रस चूसने लगते हैं जिससे पौधे की पत्तियां पीली व हरे मच्छर से पौधे की पत्तियां कटोरी की तरह दिखने लगती है
उपचार
ऐसिटामिप्रिड 20% SP प्रति 15 लीटर पानी में 20 ग्राम डालकर स्प्रे करें।
थियामेथोक्सम 25.00% WG 40 ग्राम को 200 लीटर पानी में डालकर प्रति एकड़ छिड़काव करें।
कपास की खेती कहां होती है
कपास की खेती सबसे ज्यादा गुजरात राज्य में होती है व महाराष्ट्र तेलंगाना हरियाणा राजस्थान मध्य प्रदेश कर्नाटका आंध्र प्रदेश उड़ीसा तमिलनाडु व पंजाब इत्यादि राज्यों में कपास की खेती की जाती है
राजस्थान में कपास की खेती कब की जाती है
राजस्थान में सबसे ज्यादा उत्पादन श्रीगंगानगर में होता है।
मार्च-मई के महीने में बोई जाती है। वह जुन-जुलाई महीनों में मानसून की सीजन के आधारित फसल होती है।
कपास की फसल कितने दिनों की होती है
किस्मो के आधार पर कपास की फसल 150 से 180 दिनों की होती है।
1 एकड़ में कपास कितना निकलता है
कपास की खेती में कपास एक एकड़ में 7 से 8 क्विंटल निकलती है। कपास की फसल 10-15 क्विंटल उत्पादन ले सकते हैं।
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ये सभी जानकारी हमने अनुभवी किसानो तथा भारत सरकार के वेबसाइट से प्राप्त की है
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