अगेती टमाटर की खेती (ageti tamater ki kheti)
अगेती टमाटर की खेती-करना लाभप्रद साबित होती है। इसके एक पौधे से एक बार में लगभग पांच किलो तक उत्पादन हो जाता है। एक पौधे पर चार बार तक टमाटर लगते हैं। किसानों का कहना है, इस समय एक लाख रुपए प्रति बीघा तक की आमदनी मिल जाती है। यह सभी प्रकार की मिट्टी में लग जाता है। वैसे दोमट मिट्टी सबसे अधिक उपयुक्त रहती है।
ऐसे तैयार करें खेत
मिट्टी पलटने वाले हल या देशी हल से खेत की अच्छी तरह जुताई करें। इसके बाद मिट्टी को समतल करके 250-300 क्विंटल प्रति हेक्टेयर के हिसाब से कम्पोस्ट या सड़ी गीबर की खाद को खेत में बिखेरकर
पुनः जुताई करनी चाहिए।
बूंद-बूंद सिंचाई
जल की निरंतर आपूर्ति के लिए बूंद बूंद सिंचाई करें। इससे पानी व्यर्थ नहीं होता। प्रत्येक पौधे के साथ में पॉलीथिन लगाएं। इससे खरपतवार नहीं उगते और ग्रोथ अच्छी होती है। साथ ही निराई-गुड़ाई की मेहनत भी बच जाती है। बुवाई के तुरंत बाद पहली सिंचाई करनी चाहिए। इसके बाद 15-20 दिनों पर सिंचाई करें।
क्यारियां बनाकर करें बुवाई
उचित दूरी के हिसाब से ऐसी क्यारियां बनाएं, जिनमें जल निकासी का अच्छा प्रबंध हो। बीजों को मिट्टी में भली भांति मिलाकर बुवाई करें। इसके बाद गोबर की सड़ी खाद तथा हल्की बालू की एक परत बना दें। फव्वारे से हल्की सिंचाई करें। जब बीज अंकुरित हो जाएं, तब एम-45 का घोल का नियमित रूप से छिड़काव करना चाहिए ताकि पौधों को कोई फफूंदजनित रोग न लगे। उर्वरकों का प्रयोग मिट्टी परीक्षण के आधार पर किया जाना चाहिए। किसी कारण से अगर मिट्टी की जांच संभव न हो तो उस स्थिति में प्रति हेक्टेयर नत्रजन 100 किलो,एसएसपी-80 किलो तथा पोटाश-60 किलो डालें।
टमाटर की हाइब्रिड किस्में
अगेती टमाटर की खेती के लिए किसान भाइयो हाइब्रिड किस्में का उपयोग करके ताबड़तोड़ उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं।
अभिलाष F1 वैरायटी
यह हाइब्रिड किस्म है इसकी दो प्रमुख विशेषताएं हैं इस किस्म को रबी व खरीफ दोनों सीजन में लगा सकते हैं। इसे सभी प्रकार की मिट्टी में उसे लगा सकते हैं। इस वैरायटी का पौधा अन्य वैरायटी की अपेक्षा में मजबूत होता है इस वैरायटी की पहली तुड़ाई 65 से 70 दिनों में शुरू हो जाती है इसका रंग लाल आकर्षण होता है इसके फल का वजन 80 से 100 ग्राम का होता है इसके फल का आकार गोल चट्टाकर होता है प्रति एकड़ में 45 से 50 टन तक उत्पादन प्राप्त हो सकता है।
सिजेंटा की हिमसोहना F1 वैरायटी
इस वैरायटी की प्रमुख दो विशेषताएं हैं इन वैरायटी के फल जल्दी खराब नहीं होते यह दूसरी वैरायटी की अपेक्षा में ज्यादा दिन तक टिक सकते हैं। इस वैरायटी की ज्यादातर राज्यों में खरीफ व रबी दोनों सीजन में लगाया जा सकता है। पहली तुड़ाई 65 से 70 दिनों में कर सकते हैं फल का आकार गोल चट्टाकार होता है। फलों का वजन 90 से 100 ग्राम तक होता है इसके फल इसका लाइफ सर्कल 5 से 6 महीने तक का होता है।
अच्छी पैदावार के लिए टिप्स
- पौधों की सही तरीके से कटाई-छंटाई करें।
- मल्चिंग करें।
- लकड़ी व रस्सी के सहारे पौधों को बांधें।
- खाद एवं उर्वरकों का समय- समय पर छिड़काव करें।
- जल निकास का उचित व्यवस्था हो।
- मिट्टी में जैविक पदार्थ की मात्रा अधिक से अधिक हो।
- मल्चिंग है कारगर उपाय
तेज बारिश के होने से खेतों में जल भराव एवं मृदा फफूंद जैसी समस्याएं हो जाती हैं। इनसे फसलों को होने वाले नुकसान से बचाने के लिए हम लाए हैं(अगेती टमाटर की खेती )कुछ टिप्स, आइए जानें…
- गीली मिट्टी में खरपतवार अधिक उग आता है। ऐसे में समय-समय पर निराई-गुड़ाई करते रहें।
- प्लास्टिक मल्चिंग पेपर का उपयोग करें।
- जलभराव को रोकने के लिए खेत में गहरी नालियां का प्रबंध करें।
- तेज बारिश से फसलों को बचाने के लिए कृषि विशेषज्ञों से सलाह ले सकते है।
- जिन फसलों को अधिक पानी की जरूरत होती है, सिर्फ उन्हें ही मानसून सीजन में लगाएं।
- फल-सब्जियों की नर्सरी मानसून आने से पहले ही तैयार कर लेना चाहिए।
- सब्जियों की खेती के लिए ऊंची मेड़ बनाकर सीडलिंग तैयार करें।
- सफेद मक्खी, थ्रिप्स आदि कीटों से बचाव के लिए जैविक कीटनाशक का छिड़काव करना चाहिए।
- बारिश में कीटों से बचाव के लिए लाइट ट्रेप का इस्तेमाल करें।
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अचूक उपाय व सावधानियां को अपनाने से पहले कृषि विशेषज्ञ की सलह लेना आवश्यक है।
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