मूंगफली की पैदावार कैसे बढ़ाए?
मूंगफली की पैदावार कैसे बढ़ाए? – मूंगफली भारत की महत्वपूर्ण तिलहनी फसल है। इसे तमिलनाडु मध्य प्रदेश कर्नाटक उत्तर प्रदेश राजस्थान व पंजाब जैसे राज्य में उगाई जाती है। राजस्थान मे मूंगफली की खेती लगभग 3.47 लाख हेक्टर में की जाती है इसका लगभग 6.81 लाख टन का उत्पादन होता है। मूंगफली का वास्तविक नाम अरेकीस हाइपेजिया है जो खाने में तेल का महत्वपूर्ण स्रोत है। मूंगफली की खेती करने से मृदा की उर्वरक क्षमता भी बढ़ती है।मूंगफली की ज्यादा पैदावार के लिए मूंगफली में सिंचाई समय अनुसार करनी चाहिए वर्षा आधारित मूंगफली की सिंचाई 2 से 3 बार करें खासतौर पर फूल आने के समय सिंचाई करना अति आवश्यक होता है। खेत में खरपतवार निकालते रहना चाहिए वह 25 से 30 दिन की फसल हो जाए उस समय निराई- गुड़ाई पूरी कर ले। झुमका किस्म के पौधे पर मिट्टी को जड़ों के पास चढ़ाएं।
पहला खाद की डोज
जब फसल 20 से 25 दिन की हो तब 35 किलोग्राम यूरिया, 45 किलोग्राम SSP खाद, 15 किलोग्राम पोटाश, 5 किलोग्राम सूक्ष्म पोषक तत्व जड़ों के पास देखकर सिंचाई करें। डोज प्रति एकड़ की दर से देवें।
दूसरा खाद की डोज
जब मूंगफली की फसल 50 से 55 दिनों की हो जाए
5 किलोग्राम सल्फर (90% डब्लू डीजी), 5 किलोग्राम CN खाद, 10 किलोग्राम यूरिया 4 kg NPK 0-52-34 प्रति एकड़ के हिसाब से जड़ों के पास देवे।
तीसरा खाद का डोज
4 किलोग्राम NPK 0-0-50 5kg सागरिका दानेदार जड़ों के पास देनी चाहिए। इसी के साथ आप रीजेंट 2 से 3 kg और फिप्रोनिल- 0.3%GR का उपयोग करें। जिससे मूंगफली की फसल में सफ़ेद लट (white grub) पर कंट्रोल कर सकते हैं। थायमथॉक्सम 12.6% 1ml प्रति एक लीटर पानी में डालकर स्प्रे करें।
मूंगफली की उन्नत किस्में
• फैलने वाली किस्में - RS-1, M-335,RG-83 व 82, चित्रा
• कम फैलने वाली किस्में - HNG - 10,RG -138, गिरनार -2
• झुमका किस्में (गुच्छा)-DAG-24,GG-2,TG-37A
मूंगफली की खेती का समय व जलवायु,तापमान,मिट्टी
• रबी की सीजन में - अक्टूबर से नवंबर महीने में होती है।
• खरीफ की सीजन में - जून से जुलाई के महीने में होती है।
• जायद की सीजन में - मार्च से अप्रैल महीने में होती है।
मूंगफली की खेती के लिए जलवायु का तापमान
मूंगफली के लिए ठंड व नमआद्र जलवायु की आवश्यकता होती है। 15° से 36° डिग्री तक मूंगफली के लिए तापमान अनुकूल माना जाता है। वह 25 से 27 डिग्री हो तो सबसे अच्छा उत्पादन प्राप्त होता है।
मूंगफली की खेती के लिए भूमि व खेत तैयारी
मूंगफली की खेती सभी प्रकार की मिट्टी में कर सकते हैं। अधिक उत्पादन के लिए रेतीली बलुई दोमट मिट्टी व पीली मिट्टी सबसे अच्छी मानी जाते हैं। मिट्टी का पीएच मान 6 से 7 के बीच होना चाहिए अगर पीएच मान 6 है तो अच्छा उत्पादन देखने को मिलता है। और 7.5 से ऊपर है तो उत्पादन घट जाएगा। जमीन की तैयारी के लिए मिट्टी पलटने वाले हल तथा कल्टीवेटर की सहायता से खेत की अच्छी जुताई करें। रेत को भुर-भुरा बना ले और पाटा लगाकर भूमि को समतल कर दे। वह बुवाई से पहले 50 किलोग्राम जिप्सम खेत में डालें।
मूंगफली की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी
मूंगफली की खेती विभिन्न प्रकार की मृदाओं में किया जा सकता है पोषक तत्वों से भरपूर बलुई दोमट मिट्टी सर्वोत्तम मानी जाती है।
खाद व उर्वरक
भूमि की उर्वराशक्ति को बढ़ाने के लिए उर्वरक और खाद का प्रयोग किया जाता है। प्रति हेक्टर के हिसाब से 30 से 40 किलो यूरिया तथा 50 से 60 किलोग्राम फास्फोरस वह 30 से 40 किलोग्राम पोटाश देना लाभप्रद होता है। उर्वरक व खाद की मात्रा खेत तैयारी के समय डाल देना चाहिए। गोबर खाद व कंपोस्ट खाद हो तो प्रति हेक्टेयर के हिसाब से सड़ी हुई गोबर की खाद 3 से 4 ट्रॉली खेत में डालें अंतिम जूताई के समय 250 किलो ग्राम जिप्सम प्रति हेक्टर में डालें।
नीम की खली का उपयोग
नीम की खली का उपयोग से मूंगफली में उत्पादन में काफी अच्छा प्रभाव पड़ता है। 400 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर में डालें। नीम की खली से दीमक पर नियंत्रण पाया जा सकता है। पौधों को नाइट्रोजन तत्वों की पूर्ति हो जाती है। नीम की खली के प्रयोग से मूंगफली में 15 से 18% उत्पादन में वृद्धि होती है।
मूंगफली के बीज की बुवाई
मूंगफली की बुवाई मानसून सीजन के साथ ही शुरू हो जाती है। कम फैलने वाली किस्म की बीज की मात्रा 80 से 85 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर एवं फैलने वाली किस्म की बीज की मात्रा 60से 70 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर के हिसाब से प्रयोग में लेना चाहिए। मूंगफली का प्रमाणित बीज को बोना चाहिए। बीच की बुवाई खेत में सीडल की सहायता से कर सकते हैं वह बेड विधि से भी बुवाई कर सकते हैं।
मूंगफली के बीज का उपचार
मूंगफली बोने से पहले बीज का उपचार करना जरूरी होता है। BASF झेलोरा 10 किलो सीड्स को 20 ml की दर से उपचार करें।
मूंगफली में खरपतवार नियंत्रण
खरपतवार नियंत्रण के लिए पेंडामैथिलीन नामक खरपतवारनाशी 2 लीटर 500 लीटर पानी में डाल के स्प्रे करना चाहिए। वह खुरपी व कुदाली की सहायता से खरपतवार को निकालना चाहिए।
मूंगफली में कीट व रोग
टिक्का रोग –

यह रोग बड़ा भयंकर रोग है जो शुरुआत से पत्तियों की ऊपरी सतह पर गहरे भूरे रंग के छोटे-छोटे धब्बे दिखाई देते हैं। जिससे पत्ते पीले पड़ के झड़ जाते हैं। वह काफी हद तक पैदावार घट जाती है।
रोकथाम- कार्बेन्डाजिम + मेंकोजेब प्रति 200 लीटर पानी में आधा किलोग्राम पानी में गोल के छिड़काव करें वह 15 से 20 दिन के अंतराल में स्प्रे करें।
पीलिया रोग

जब बारिश ज्यादा होती है या पानी की कमी हो जाती है। उस समय पीलिया रोग ज्यादा देखने को मिलता है। जिससे पूरा पौधा पीला पड़ जाता है वह पत्तियां पीली पड़ सूख जाती है।
रोकथाम- दानेदार सल्फर की मात्रा 5 किलोग्राम प्रति एकड़ में डालें
जड़ गलन व तना गलन

यह एक फंगसजनित रोग होता है जो बारिश के मौसम या खेत में ज्यादा नमी के कारण होता है। ज्यादा सिंचाई करें तो यह रोग हो सकता है। इसकी जड़े पर काली फफूंद दिखाई देती है।
रोकथाम
• प्रॉपिकोनाजोल 25%EC 1 ml 2 लीटर पानी में डाल के स्प्रे करें।
• टेब्यूकोनाजोल 38.9% SC 1ml 2 लीटर पानी में डालकर स्प्रे करें।
• कार्बेन्डाजिम 50% WP 2 ग्राम 1 लीटर पानी में डालकर ड्रैचिग करें।
सफेद लट

यहां मूंगफली की फसल को बहुत ही क्षती पहुंचने वाला कीट होता है। यह बहुभोजी कीट होता है। वह लट मूंगफली की जड़ों को खाती है। यह मई-जून में जमीन के अंदर अंडे देती है। 8 से 12 दिनों में लटके रूप में तैयार हो जाती है।
रोकथाम– फिफ्रोनिल 0.3 GR दानेदार 4 KG पर एकड़ में डालें।
दीमक रोग
यह दीमक रोग मूंगफली की जड़ों को खाता है। यह जमीन की ऊपरी सतह पर पोंधे के तनों व जड़ को काट लेता है।
रोकथाम- क्लोरपायरीफाॅस चार लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से घोलकर पानी के साथ देवे।
मूंगफली की पैदावार कैसे बढ़ाए? – आधारित प्रश्न
मूंगफली की फसल कितने दिनों में तैयार हो जाती है?
मूंगफली की फसल 120 से 130 दिनों के भीतर तैयार हो जाती है।
मूंगफली के लिए सबसे अच्छा खाद कौन सा है?
मूंगफली का सबसे अच्छा खाद अमोनियम सल्फेट होता है। क्योंकि इसमें पोषक तत्व भरपूर पाए जाते हैं।
मूंगफली बोने का सही समय क्या है?
बुआई का समय 1 से 15 जून के बीच अच्छा माना गया है।
मूंगफली की अधिक पैदावार कैसे करें?
मूंगफली की अच्छी पैदावार के लिये एक से दो बार निराई-गुड़ाई अवश्य करें।
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